संघर्ष की आँच में तपता गीतकार : विश्वनाथ राजपुरी
भोजपुरी की ‘सैंया विदेसिया’, ‘कालीचरण’, ‘घातक’, ‘गांव के लाल’, ‘शहंशाह’, ‘आक्रोश’, ‘जीरो बनल हीरो’ आदि प्रदर्शित हिट फिल्मों के लिए गीत लेखन कर चुके गीतकार बिश्वनाथ राजपुरी अब बाॅलीवुड की बड़ी स्टार कास्ट वाली फिल्मों के लिए गीत लिखना चाहते हैं इसके लिए फिलहाल उनका अनवरत संघर्ष जारी है। जिला बक्सर (बिहार) निवासी विश्वनाथ राजपुरी ने मगध के महाराजा काॅलेज से बी.एसी.सी. किया। एक किसान परिवार में जन्मे विश्वनाथ कोई फिल्मी बैकग्राउण्ड से नहीं है, बावजूद इसके उन्हें बचपन से ही गीत लिखने और फिल्मी गीतकार बनने की धुन सवार थी। झारखंड की धरती से भी उनका जुड़ाव रहा है।अपनी पढ़ाई के बाद उन्होंने जमशेदपुर(झारखंड) में टाटा किम कैन में नौकरी की जिसे गीतकार बनने हेतु उन्होंने 1990 में छोड़ दिया। उनका एयरफोर्स में भी सिलेक्शन हो गया था, जिसे उन्होंने ज्वाॅइन ही नहीं किया। अंततः गीतकार बनने का सपना संजोए विश्वनाथ 1995 में मुंबई आ पहुंचे। यहां उन्होंने आॅडियो कैसेट्स व एलबम के लिए गीत लेखन की शुरुआत की। अब तक तकरीबन 300 कैसेट्स-एलबम के लिए गीत लिख चुके हैं। विश्वनाथ के द्वारा लिखित गीतों को कुमार शानू, उदित नारायण, खुशबू जैन, पाॅमेल जैन के अलावा कई अन्य चर्चित पाश्र्व गायक अपनी मधुर आवाज़ दे चुके हैं।
यूं तो गीतकार विश्वनाथ राजपुरी हर तरह के मूड के गीत लिखते हैं, लेकिन अश्लील तथा डबल मीनिंग गीतों के वे सख़्त खिलाफ हैं। वे सिर्फ साफ-सुथरे, परिवार के सदस्यों के बीच बैठ कर सुने जा सकने वाले गीत ही लिखते हैं और आगे भी ऐसे ही गीत लिखेंगे। गीतों के साथ ही कहानी व पटकथा लेखन में भी उन्हें बेहद दिलचस्पी है और वे सामाजिक समस्याओं से जुड़ी हिन्दी फिल्मों के लिए कथा पठकथा लिखना चाहते हैं।बहुत जल्द ही
भोजपुरी में उनकी आनेवाली फिल्में हैं-‘काहे हम कईनी प्यार’, ‘ओ हसीना जुल्फवाली’, ‘जवानी की रेल कहीं छूट ना जाए’ तथा ‘सैया संवरका रे’ और आनेवाली हिन्दी फिल्में हैं-‘कौन है वो’, ‘क्या जमाना है’ व ‘देवा की दीवानी’ आदि।
प्रस्तुति : काली दास पाण्डेय
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